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कुरसी / मोनिका गौड़

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|संग्रह=अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद / मोनिका गौड़
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<poem>
घुप्प अंधारो,
घोर कळमस,
खिंड्योड़ो च्यारूंमेर
मिचमिची आंख्यां
उघड़ै ई नीं
टंटोळतां, फरोळतां
हथेळ्यां भर जावै
लोही री बास सूं
कुरस्यां रै
चिलकता पागां हेटै
ठोकरां में पागां
अेक धरम
अेक जात
अेक ईमान री म्यूजिकलचेयर रमता
घाणी रै बळद ज्यूं
ल्हासां रै पगौथिया माथै
कुरसी!
</poem>
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