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भरूंट / मोनिका गौड़

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|संग्रह=अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद / मोनिका गौड़
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<poem>
जबान में सेक्रीनी मिठास घोळ्यां
काळजै पनपै बावळिया घोर
स्वारथ रो भंरूट बण्यो मिनख
जोवतो रैवै चिपण री मुखमलिया ठौड़
अमरबेल री भांत पांगर’र
हुवणो चावै हरियल
दूजै रो रगत चूस
मिनख बण्यो भरूंट।
</poem>
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