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पांगळो तंत्र / मोनिका गौड़

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|संग्रह=अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद / मोनिका गौड़
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<poem>

खोड़ीजतो चालै तंत्र
बांकै मूंडै सूं निसरै
आधा-अधूरा बेअरथा आखर
सबद सूं बेसी
पड़ै राळ
धूजता हाथ
नीं ठैरै निसाण माथै
माडाणी बैसाखियां सूं
चालण री करै खेचळ
जन री चेतना रै
हुयग्यो लकवो
पांगळो फिरै तंत्र
</poem>
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