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|संग्रह=अंधारै री उधारी अर रीसाणो चांद / मोनिका गौड़
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<poem>
धाप्योड़ा रमै चैस
कूड़ी गंभीरता चेप्यां
टाट खुजावता सोचण रो नाटक रचै
मन में तय चाल नैं ईज घूमावता
दिखावै शिष्ट वैवार
पण गोटी मारण री टैम
झट दिख जावै कै
जीतणै सूं बेसी है
गोटी मारण रो सुख
असल में खेल जोर दिखावण रो है।

धाप्योड़ा रमै चैस
हाजरीया पुरावै काजू, बिदाम, चाय
अर ड्रिंक्स रा रीत्योड़ा भांडा
असवाड़ै-पसवाड़ै हाथ बांध्या खड़्या
सीखणी चावै शह-मात री बाज्यां।

धाप्योड़ा रमै चैस
भूखा-नागा बणै प्यादा अर बोट
चौसर में चौतरफा पीटीजण नैं
धाप्योड़ा धोळपोसिया होळै-होळै खेलै चैस
नूरा-कुस्ती ज्यूं...।
</poem>
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