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<poem>
(१)
वीरत रा लाडा बण्या,
खागां कीरत खाट।
रंग खेड़ेचां राखियां,
थलवट थारा थाट॥
(२)
महि जस खाटण माढुवां,
वध वध कर बलिदान।
कीरत लूटी कोड सूं,
रजवट्ट राजस्थान॥
(३)
आवै निरखण ईसरी,
भसमी लगा भभूत।
करै अचूंभौ कैवतां,
सिरै अैथ रा पूत॥
(४)
सतधारी सुत विरम रा,
पांचूं ही प्रख्यात।
मांडी कीरत मांडणां,
ऊजळ रच अखियात॥
(५)
देवराज हद दीपियां,
धर आथूंणी धीस।
जाहर जग में आजलग,
दिया अणूता सीस॥
(६)
आयौ जोधो आंगणै,
लैवण वड़ आसीस।
लूणकरण रंग आपीया,
वाजी कर बख्शीश॥
(७)
दिस आथूंणी देखिया,
कोड तणा म्है कै'क।
दिपदिपता घण देवरां,
सह टणकौड़ी टेक॥
(८)
बणिया गायां वाहरूं,
करी खरी रखवाल़।
जस दैवे हैं जगत सह,
कमधां कियौ कमाल़॥
(९)
बैर ज लीनो बाप रौ,
गरबीलै नर गोग।
अमर हुवौ अखियात में,
लुळै नमंता लोग॥
(१०)
शैरशाह रै सांमणै,
जमिया जद जोधार।
उण बैळा अभीहङजी,
जुध कीनो जूँझार॥
(११)
सेत्रावौ सबसूं सिरै,
माथै हंदौ मौड़।
तेजस्वी तपीया अठै,
तुरकां रौ मन तोड़॥
(१२)
कई वीर इथ क्रीत रच,
तणकी खूँटी तांण।
परभातै ई पोढिया,
महि जस राखण मांण॥
(१३)
लाल ज स्याही लोक रा,
लिखिया जिकां ज लेख।
वां कमधा री वारता,
द्रगां तणी ज देख॥
(१४)
बावकान में वीर रौ,
थपियौड़ो हैं थान।
अस चढियोड़ौ आन सूं,
मूरत देख महान॥
(१५)
कमधां रौ ओ काळजौ,
कितरौ सखा कठोर।
कांकण डोरा खौलने,
जमै जुद्ध में जोर॥
(१६)
मिटिया बाप'र मावड़ी,
आंख्यां सांमी आज।
उणी मारगां आविया,
नैनकिया कर नाज॥
(१७)
ऊमा कैवे आपनै,
जोड़ी तणा जलाल।
पहराई किण प्रात आ,
मुंडां री गळ माल़॥
(१८)
दियौ पड़ूतर डौकरे,
धर आथूंणी धीस।
राटक जोर बजाय नै,
सूंप दिया गळ सीस॥
(१९)
औनाड़ा थळ ऊपरां,
रखी रावळी रीत।
पोखी पल पल प्रीतड़ी,
कथ कथ ऊजळ क्रीत॥
(२०)
म्हैलां सूं ई मारकां,
झूंपड़ियां जूँझार।
दसां दिसावां दीपिया,
वाहर चढनै वार॥
(२१)
वतन वासतै वारिया,
पटाधरां इथ प्राण।
जिणसूं भारत जगमगै,
गा गौरव रा गांण॥
</poem>
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