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ईश्वर जाने / कुमार सौरभ

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सुलगा कर के अपनी बीड़ी
फूँक दिये गाँव के गाँव
वही विधायक संसद की
सिगरेट चला है सुलगाने
वह जाति बहुल धन-बाहु-बली
हा ! घोर आपदा ! ईश्वर जाने !
</poem>
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