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|रचनाकार=मानोशी
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|संग्रह=उन्मेष / मानोशी
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दर्प पतन का प्रथम घोष है,
गिरने से पहले का इंगित,
भाग्य ने बैठाया जिस जगह बिठायाभाग्य ने
छिन जायेगा सब कुछ संचित,
दो क्षण के इस जीवन में क्या