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गौरा तोर अंगना / विद्यापति

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गौरा तोर अंगना।बर अजगुत देखल तोर अंगना।
एक दिस बाघ सिंह करे हुलना ।हुलना। दोसर बरद छैन्ह सेहो बौना।।बौना॥हे गौरा तोर ................... ।
कार्तिक गणपति दुई चेंगना।एक चढथि मोर एक मुसना।।मुसना॥हे गौर तोर ............ ।
पैंच उधार माँगे गेलौं अंगना ।अंगना। सम्पति मध्य देखल भांग घोटना ।।घोटना॥हे गौरा तोर ................ ।
खेती न पथारि शिव गुजर कोना ।कोना। मंगनी के आस छैन्ह बरसों दिना ।।दिना॥हे गौरा तोर ...............
भनहि विद्यापति सुनु उगना ।उगना। दरिद्र हरन करू धएल सरना ।।सरना॥</poem>
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