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मुक्तक / कविता भट्ट

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वक्त कितना भी हो मुश्किल ,खुद को बदलने नहीं देते॥
डराएँगे क्या अँधेरे अपनी बुरी निगाहों से हमें ।
फक्र फ़ख्र तारों पर है जो उजालों को ढलने नहीं देते ॥'''
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'''बर्फीली कंच रातों में, जब लिहाफों में मचलते हो ।