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Kavita Kosh से
वक्त कितना भी हो मुश्किल ,खुद को बदलने नहीं देते॥
डराएँगे क्या अँधेरे अपनी बुरी निगाहों से हमें ।
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'''बर्फीली कंच रातों में, जब लिहाफों में मचलते हो ।