भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
और आगे और दूर,
गान के बाद गान।
 
नील घनपटल में कौन तुम दामिनी
बागीश्वरी: तीन साल
 
कौन तुम निरुपमे देवि करवानिी
नौल घनपटल में दमकती दामिनी?
 
उद्गीति साम की, शक्ति तुम प्राण की,
ध्वंसिनी मोह-मद-दम्भ-अभिमान की।
शिवा, दिशावेशा, अजा, अपराजिता,
महाभावरूपा, नवराग र´्जिता।
 
सिद्धि तुम, तुष्टि तुम, परागतिपावनी,
तेजःप्रकाशिनी, श्रुतिमौलिमालिनी।
उष्णता अग्नि की कल्याणकारिणी,
गाथा पुराण की तुम चन्द्रभालिनी।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,147
edits