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कजली / 6 / प्रेमघन

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नैन सजीले बैन रसीले छैल छबीले तेरे रे॥
तित टरकाय, हाय! क्यों मारत, दिलबर प्यारे मेरे।
यार प्रेमघन! बेदरदी छबि देखलावत नहिं एरे॥13॥एरे॥15॥
॥दूसरी॥
रतनारे मतवारे प्यारे, दूनौ नैन तोहार॥
धानी ओढ़नी सोहै सीस पर, अँगिया गोटेदार।
यार प्रेमघन ललचावत मन बरबस हाय हमार॥14॥हमार॥16॥
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