Changes

कजली / 6 / प्रेमघन

No change in size, 04:26, 21 मई 2018
नैन सजीले बैन रसीले छैल छबीले तेरे रे॥
तित टरकाय, हाय! क्यों मारत, दिलबर प्यारे मेरे।
यार प्रेमघन! बेदरदी छबि देखलावत नहिं एरे॥13॥एरे॥15॥
॥दूसरी॥
रतनारे मतवारे प्यारे, दूनौ नैन तोहार॥
धानी ओढ़नी सोहै सीस पर, अँगिया गोटेदार।
यार प्रेमघन ललचावत मन बरबस हाय हमार॥14॥हमार॥16॥
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,137
edits