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|संग्रह=नई चेतना / महेन्द्र भटनागर
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शैतान के साम्राज्य में तूफ़ान आया है, <br>
भयभीत हर तस्वीर को बदलो, <br>
हमारे संगठित बल की यही ललकार है ! <br>
मासूम लाशों पर खड़ा साम्राज्य हिलता है, <br>
तम चीर कर जन-शक्ति का सूरज निकलता है, <br>
अमन के शत्रु से जो छीनते हथियार हैं ! <br>
हमारे संगठित बल की यही ललकार है ! <br>
लो रुक गया रक्तिम प्रखर सैलाब का पानी, <br>
अब दूर होगी आदमी की हर परेशानी ! <br>
खुशी के मेघ छाये हैं, बरसता प्यार है ! <br>
हमारे संगठित बल की यही ललकार है ! <br>
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