भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऊंग मत / मोहम्मद सद्दीक

2,069 bytes added, 12:10, 29 मई 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक
|अनुवादक=
|संग्रह=जूझती जूण / मोहम्मद सद्दीक
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
धान तो धान
धान री धांस नै
ढ़कणी ढ़क्कणियां आदमखोरा
काळरूप/ कुमाणस
घेरिया घालतां-घालतां
घरां में घाल देवै घुरी
घात लगावै जीवतै जीवां नै
भूख हिंसक सो
देखतां-देखतां
गुर्रावतो गूंजतो
आंख्यां रां मटरका करतो
निवैड़तो रैवै
गांवां रा गांव।
पींवतो रेवै
लोगां रो लोई
पांगरतो जावै
बां रै ही घरां में।
(तूं इण वास्तै)
सुख-दुख नै
करम री लिखी
अमिट लोक मान‘र
लीकलीक
चालणियां रो
सागी छोड़
ध्यान दे बां मिनखमार
मक्कारां कानी
जिक्का धरम-करम रा
भाग-भरम रा
कुशल कारीगर है
सुख-दुख रो
बंटवारो
अै करसी न्यारो-न्यारो
स्वारथ रा सागी बाप
आपरै पाळै राखसी
सुख-सुविधावां रा
अखूट भंडार
परायै पाळै में पाळसी
दुख-दाळद री बाळदां।
मासी मोत रा लाडेसर
भूख स्यूं बांथैड़ो कदतांई
अबै तूं पाळा बदल
थ्यावस त्याग
ऊंघ मत/जाग
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits