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|संग्रह=जूझती जूण / मोहम्मद सद्दीक
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<poem>

सांवरयेरी सारंगी
तूं सतरंगी तूं बदरंगी
कठै तो बाजै पांव पैंजणी
कठै तूं लाधै अधनंगी।।
सुर साध्यां सुध सधै साध्वी
सुख रा सोवण सरसै लो
मिनख मानखै मोती निपजै
रिमझिम मेहूलो बरसै लो
रूस्यां राज मिलैला कोनी
मिनख जूण री है तंगी-सांवरयेरी सारंगी
पा-पा पगल्यां धर कूंचां
मुळकाय बैठगी महलां में
लै चूक-अचूक अलाप लियां
मल्हारां गाती ताना में
कठै बिलखतै आंगणियै
अध बणी छबीली छाना में
कठै तो रोटी राग रोवती
राग टूट गीत ताना मैं
कठै तू ओढ़ै साल दुसाला
कठै नां-लधै इक-अंगी-सांवरयेरी-सारंगी
</poem>
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