भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक
|अनुवादक=
|संग्रह=जूझती जूण / मोहम्मद सद्दीक
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
मामै रै ब्या में मां पुरसारी
दोन्यूं हाथां में पंचधारी
पुरसण हारी माऊ थारी
जीमो बेटा रात अंधारी।।
रात अंधारी काळी-काळी
थे हो मालिक थे ही माळी
छांगो डाळा तोड़ो डाळी
सूतो दीसै बाग रो माळी
घर सूनो कुण करै रूखाळी
चुगल्यो फुलड़ा तोड़ो डाळी
सगळा साळा सगळी साळी
कुणसी देवै थांनै गाळी
दे दे सीख सदा मैं हारी
जीमो बेटा रात अंधारी।।
लारै हाळी बात बिसारी
सूंतो माया सगळी थांरी
कुण जाणै कद आवै बारी
झाड़ो, पूंछो फेर बुवारी
हम्मै जीमो थांरी बारी
थाळी पुरस दी न्यारी-न्यारी।
दे दे सीख सदा मैं हारी
जीमा बेटा रात अंधारी
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक
|अनुवादक=
|संग्रह=जूझती जूण / मोहम्मद सद्दीक
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
मामै रै ब्या में मां पुरसारी
दोन्यूं हाथां में पंचधारी
पुरसण हारी माऊ थारी
जीमो बेटा रात अंधारी।।
रात अंधारी काळी-काळी
थे हो मालिक थे ही माळी
छांगो डाळा तोड़ो डाळी
सूतो दीसै बाग रो माळी
घर सूनो कुण करै रूखाळी
चुगल्यो फुलड़ा तोड़ो डाळी
सगळा साळा सगळी साळी
कुणसी देवै थांनै गाळी
दे दे सीख सदा मैं हारी
जीमो बेटा रात अंधारी।।
लारै हाळी बात बिसारी
सूंतो माया सगळी थांरी
कुण जाणै कद आवै बारी
झाड़ो, पूंछो फेर बुवारी
हम्मै जीमो थांरी बारी
थाळी पुरस दी न्यारी-न्यारी।
दे दे सीख सदा मैं हारी
जीमा बेटा रात अंधारी
</poem>