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{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
|संग्रह= निशा निमन्त्रण निमंत्रण / हरिवंशराय बच्चन
}}
 
कहते हैं, तारें गाते हैं!
स्‍वर्ग सुनाओ सुना करता यह गाना,
पृथ्‍वी ने तो बस यह जाना,
ऊपर देव, तले मानवगण,
नभ में दोनों , गायन-रोदन,
राग सदा ऊपर को उठता, आँसू सदा नीचे झर जाते हैं!
कहते हैं, तारें गाते हैं!
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