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माँ / सलेम जुबरान

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|रचनाकार=सलेम जुबरान|अनुवादक=अनिल जनविजय|संग्रह=
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मेरी माँ को धिक्कारो
 
जिसने एक विदेशी को
 
अपनी छाती से लगाया
 
दूध पिलाया
 
जबकि मैं भूखा हूँ
 
घृणित है वह
 
जिसने मेरे बिस्तर पर
 
एक विदेशी को सुलाया
 
जबकि मैं उनींदा हूँ
 
लानत भेजो उस पर
 
जिसने अपने दिल में
 
एक विदेशी को बसाया
 
मुझे निकाल बाहर किया
 
एक वात्सल्यहीन भगोड़ा बनाया
 
मेरी माँ को कोसो
 
निन्दा करो उसकी
 
सब महिलाओं को धिक्कारो !
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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