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निर्वासन / सलेम जुबरान

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|रचनाकार=सलेम जुबरान|अनुवादक=अनिल जनविजय|संग्रह=
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सीमा के आर-पार गुज़रता है सूरज
 
बन्दूकें शान्त हो जाती हैं
 
तुलकारेम में
 
भरल-पक्षी शुरू करता है
 
अपना सवेरे का गीत
 
और चुग्गे के लिए उड़ जाता है
किब्बुत्ज की चिड़ियों के साथ
 
एक अकेला गधा घूमता है
 
गोलाबारी की सीमा के पार
 
प्रहरी दस्ते की निगरानी के बाहर
 
लेकिन मेरे लिए
 
तुम्हारे इस निर्वासित पुत्र के लिए
 
ओ मातृभूमि
 
एक सीमारेखा खिंची है
 
तुम्हारे आकाश
 
और मेरी आँखों के बीच
 
दृष्टि को काला करती हुई
 
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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