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<poem>
थै मजा करो म्हाराज
आज थांरी पांचूं घी में है
म्है पुरस्यो सगळो देस
बता अब कांई जी में है ?

गळी गळगळी होय
गांव री बिलखे साख भरै
भोळा डाळा जीव जीण री
झूठी आस करै
लुच्चा लूटै माल
मसकरा मीठो नास करै
कुत्ता खावै खीर
मिनख तो बोदी घास चरै
गांव में लागण लागी आग
घरां में दीखै भागमभाग
टाबरां गायो रोटी राग
कमावणियां रै आग्या झाग।।
पण मजा करो म्हाराज
आज थांरी पांचूं घी में है
म्है पुरस्यो सगळो देस
बता अब कांई जी में है ?

पीड़ पाळतू कर लेवै
पण मेखां रोज जड़ै
मिनख मांस रा बिणजारा
बातां रा महल घड़ै
अबळा मांग मिटै दिन धोळै
चूड़ी रोज झड़ै
फळसो खुल्लो छोड़ दियो
जद डांगर आय बड़ै
गांव रै कूवै पड़गी भांग
बांदरा लड़सी सांगोपांग
सराफत झूठी भरसी सांग
लाज री खुल्ली दीखै जांघ।
पण मजा करो म्हाराज
आज थांरी पांचूं घी में है
म्है पुरस्यो सगळो देस
बता अब कांई जी में है ?

सदा सरीसा दिन बीतै
बिरथा ही जूण गमावै
तिल-तिल जीणो भारी पड़ग्यो
सांस काळजो खावै
लाजां लाज मरै सड़कां पर
जणो जणो बतळावै
बादळ बूंद बणै जद बरसै
ओळा क्यूं बरसावै-
सूरड़ा दे मिनखां नै मार
चोरटा देवै खुल्ली धार
समय री माया अपरमपार
आपणी बस्ती ठंडी ठार
थे मजा करो म्हाराज
आज थांरी पांचूं घी में है
म्है पुरस्यो सगळो देस
बता अब कांई जी में है ?

सतजुग री बातां रा सपना
अणदेख्या रै जावै
सुख-सपनो ले घर स्यूं चालै
दुख-दाळद ले आवै
माथै चढग्या भाव बेगड़ा
जिनस जीव नै खावै
कवि करै कुचमाद
मिनख नै मांदा गीत सुणावै
घणा-सा बेरूजगार लोग
पसरग्या घर-घर में बण रोग
घरां नै घेरयां राखै सोग
जीवण दीखै मरणै जो
पण मजा करो म्हाराज
आज थांरी पांचूं घी में है
म्है पुरस्यो सगळो देस
बता अब कांई जी में है ?

अणभणिया आखर बुझैला
कुण बांरी बात करै
ऊंचै आसण बैठणियां
नित नूंवो घात करै
बिना साख रा सौदागर
बिन खेल्यां मात करै
बैलां बाळ उजाळो कर लै
दिन में रात करै
आंख रो देखण सारू काम
जीभ तो एक टकै री चाम
टसकता दीखै जाया जाम
काढ़ सी बापू जी रो नाम
पण मजा करो म्हाराज
आज थांरी पांचूं घी में है
म्है पुरस्यो सगळो देस
बता अब कांई जी में है ?
</poem>
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