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|रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक
|अनुवादक=
|संग्रह=अंतस तास / मोहम्मद सद्दीक
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<poem>
आ सड़क सरीसा कर नाखै
तूं थोड़ो सो तो सारै आ
आ भलै बुरां रा पग चाखै
तूं डर मत म्हारै लारै आ।
अड़ा भीड़ में खा धक्का
चेतै री चमरख टूटी है
मिनख रयो गरळाय
धणी री दोन्यूं आंख्यंा फूटी है
ले परख जमारो जामण रो
तूं मोड़ो मतकर बारै आ
बा देख गूंगळी अधगेली
ऊपर सूं नीचै नागी है
कामी कूकर रया ताक रै
भूख भड़ककर जागी है
आं गरब गुमानी भींतां नै
अब बेगोसी तूं ढा, रे आ।
लजखाण होवे मिनखजूण
सड़कां पर सरणाटो छावै
ममता रो माथो नीचो है
गोदी में काया कुमळावै
तूं मिनखजात रो हत्यारो
म्है पुरसरया तूं खा रै आ
चकवो बोल्यो सुण चकवी
फळ रया कठै इण तरवर में
नरमुंड धड़ां पर भारी है
जळ रया कठै इण सरवर में
तूं बड़ै गांव रो गीतारो
ले म्हारै सागै गा रै आ
आ सड़क सरीसा कर नाखै
तूं थोड़ो सो तो सारै आ
आ भलै-बुरां रा पग चाखै
तूं डर मत म्हारै लारै आ।
</poem>
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|रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक
|अनुवादक=
|संग्रह=अंतस तास / मोहम्मद सद्दीक
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<poem>
आ सड़क सरीसा कर नाखै
तूं थोड़ो सो तो सारै आ
आ भलै बुरां रा पग चाखै
तूं डर मत म्हारै लारै आ।
अड़ा भीड़ में खा धक्का
चेतै री चमरख टूटी है
मिनख रयो गरळाय
धणी री दोन्यूं आंख्यंा फूटी है
ले परख जमारो जामण रो
तूं मोड़ो मतकर बारै आ
बा देख गूंगळी अधगेली
ऊपर सूं नीचै नागी है
कामी कूकर रया ताक रै
भूख भड़ककर जागी है
आं गरब गुमानी भींतां नै
अब बेगोसी तूं ढा, रे आ।
लजखाण होवे मिनखजूण
सड़कां पर सरणाटो छावै
ममता रो माथो नीचो है
गोदी में काया कुमळावै
तूं मिनखजात रो हत्यारो
म्है पुरसरया तूं खा रै आ
चकवो बोल्यो सुण चकवी
फळ रया कठै इण तरवर में
नरमुंड धड़ां पर भारी है
जळ रया कठै इण सरवर में
तूं बड़ै गांव रो गीतारो
ले म्हारै सागै गा रै आ
आ सड़क सरीसा कर नाखै
तूं थोड़ो सो तो सारै आ
आ भलै-बुरां रा पग चाखै
तूं डर मत म्हारै लारै आ।
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