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Kavita Kosh से
तुम न होते
बुझ जाता दीपक,
सींच नेह से
जला दिया तुमने
चौराहे पर
'''ओट हाथ की दे दी'''
आँधी को रोका
फूत्कार-भय त्यागा
बिना तुम्हारे
हम जी पाते कैसे
बिना सहारे
दंशित नस -नस
काल सामने
'''तुमने मन्त्र पढ़ेविष सदा उतारा'''
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