भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
ओ मन- परिणीता
अंक में भरो ।
11
कर्मयोगिनी
अच्छे ही कर्म करे
दु:ख ही भरे ।
12
क्या कर्म-फल?
शुभ सोचे व करे
नरक भरे?
13
तापसी जगी
नींद हुई बैरन
कोसों है दूर्।
-०-
</poem>