भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatHaiku}}
<poem>
23प्रेम के द्वारेउच्व स्वरों की गूँजपिया पुकारे24हमेशा साथ फिर भी न समझे मन की बात 25आँचल भीगा बरखा से मगरमन तो सूखा 26मौन मुखर नैन ही समझें भाषा नैनों की 27मन ही लिखेसतरंगी स्याही से मन ही बाँचे 28एक डोरी हो सतरंगी सपने नित फैलाऊँ 29प्रेम -संसार विरह अंधियारे प्रिया पुकारे ! 30तरु शिखर नभ प्रिय को चूमें उन्मत्त खड़े 31आनंद गान आरोह में खो जाऊँ प्रिय जो पाऊँ 32हों शंखनाद नित विजय गान संघर्ष करो 33यौवन जगारति-काम उद्धतऋतु पावस
</poem>