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ईश्वर, मैं कौन होता हूँ उन्हें राह दिखाने वाला
उन नन्हें बच्चों को हर रोज़
मैं तो ख़ुद भटक रहा हूँ अभी
मैं उन्हें पढ़ाता हूँ ज्ञान की बातें, पर जानता हूँ
कितने कमज़ोर हैं वे और कितना कम
टिमटिमा रही हैं मेरे ज्ञान की मोमबत्तियाँ
मैं उन्हें ताक़त का इस्तेमाल सिखाता हूँ
लेकिन तभी मुझे पता लगता है
कि कितना कमज़ोर हूँ ख़ुद भी मैं
मैं उन्हें मानवजाति से प्यार करना सिखाता हूँ
उन सभी प्राणियों से, जिन्हें रचा है ईश्वर ने
पर मैं ख़ुद इस काम में बहुत पिछड़ा हुआ हूँ अभी
ईश्वर, अगर अब भी मैं ही उनका शिक्षक रहूँगा
तो इन बच्चों को यह मालूम होना चाहिए
कि विश्वास करने लगा हूँ मैं तुममें