भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पंकज चौधरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पंकज चौधरी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
किस-किस से लड़ोगे यहां
कोई यहां ब्राह़मणवादी है तो
कोई यहां राजपूतवादी
कोई यहां कायस्‍थवादी है तो
कोई यहां कोयरीवादी, कुरमीवादी
कोई यहां यादववादी है तो
कोई यहां बनियावादी
कोई यहां जाटववादी है तो
कोई यहां वाल्‍मीकिवादी, खटिकवादी
कोई यहां हिन्‍दूवादी है तो
कोई यहां मुस्लिमवादी, ईसाईवादी
कोई यहां पूंजीवादी है तो
कोई यहां इगोवादी
कोई यहां आभिजात्‍यवादी है तो
कोई यहां कलावादी
कोई यहां बिहारवादी है तो
कोई यहां यूपीवादी, एमपीवादी
कोई यहां अवसरवादी है तो
कोई यहां तलवावादी
कोई यहां बकवादी है तो
कोई यहां इस्‍तेमालवादी
कोई यहां अफसरवादी है तो
कोई यहां कुलीनवादी, दयावादी

सब यहां आदमी के वेष में वादी है
और वाद का कवच ओढ रखा है
इंसानियत का ताज गिरा रखा है
आदमी बने भी तो बने कैसे
सब ने ऐसे-ऐसे वादों का मल खा रखा है।
</poem>