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कहाँ से आएये उड़ते-उड़ाते याद- परिंदेहम कैसे बताएँ ।भीगी पलकेंउदासियों का चोलापहने बैठींचुपके से आकरदेखो तो ज़राहवाओं के ये झोंकेआँखों से कैसे यूँ मोती चुराकरआसमान सजाएँ।
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