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Kavita Kosh से
मेरी आँखों के पृष्ठ,
पीड़ा-संघर्ष
जैसे अध्याय
पढ़ने में बीतेंगे
किन्तु नाटक
पढ़ने का ही करो
अध्यायों की खातिर,
मेरी उनींदी
मन की कलम ने
लिखे रातों को
तुम्हें लगन तो है;
किन्तु पढ़ोगे
भोग-देह का
रोपना, जन्म देना
डूबी अब भी
लिखने में वेदना
जानती हूँ मैं-
'''रक्तिम अक्षरों को