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<poem>
रंग रमण रै
चाव सूं
गैरियो-अकास,
घोळ राख्या है
रंग-रंगीला
बादळी-कड़ाव,

पून री पिचकारयां सूं
बौछारा री धारां सूं
रंग बरसै
धरती गणगोर पर

रंग री राणी
धरती धिराणी
उडा री है
सतरंगी गुलाल
चारूं पासी‘क

सावण में
सांतरी होळी मची
रंग-रस रूप रची।
</poem>
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