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रेत (पांच) / राजेन्द्र जोशी

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|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
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<poem>
घर छोड्यां पछै
छूट जावै
आयला-भायला
सागी चाय अर पाणी
नीं रैवै पाटा अर चौकियां
नीं हुवै बै देवी-देवता
घडिय़ां री टैम ई
सागी नीं रैवै
सूरज अर चांदो ई
आपरी टैम बदळ लेवै
पण बा रेत सागी रैवै
घर छोड्यां पछै ई
नीं बदळै रेत
नीं बदळ सकै रेत
आपरी तासीर।
</poem>
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