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पहाड़ होता तो तोड़ ही देतारस्सी होती तो जोड़ ही देताधन होता तो छोड़ ही देताफौलाद होता तो मोड़ ही देतातेरा दुःख इन सबसे ऊपर हैन टूटता है, न छूटता हैन मुड़ता हैबस मुझे मथता है रात दिनतड़पाता है हर छिनकोई उपाय ऐसा पाऊँकिकिसी ऐसे लोक चला जाऊँजहाँ जाकरतेरे सारे दुःख ओढ़ लूँसभी बाणों की नोकेंअपनी ओर मोड़ लूँ।
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