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<poem>
'''मेरे पांच पति बलवान, धरै नै ध्यान, तेरी जान का गाला सै || टेक ||'''

मनै गन्धर्वों गेल ले राखे फेरे, जिनके चन्द्रमा से चेहरे,
तेरे ये महल, करूँ सब फ़ैल, मेरी गैल मेरा घर आला सै ||

इन तेरी बातां हो रही काली, झड्गी मेरे चेहरे की लाली,
ठाली बोतल हाथ, यो दुखी सै मेरा गात, अँधेरी रात मेरा राम रुखला सै ||

शंकर नै देख्या मोहिनी रूप, मद मै होग्या था बेकुप,
भूप हो सै माँ-बाप, मत कर पाप, मेरी राजन साफ़ टाला सै ||

शेर-स्याल एक बण मै रहै, तेरे दिल मै ना राजा का भय,
कहै ललित, या खोटी नीत, ना हो जीत तेरे भीतर मै काला सै ||
</poem>
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