भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
हवाओं में जो ये थोड़ी सी नमी है
किसी पुराने समय से चली आई है हमारे लिए हमारी ही देहगंध लिये
(तीन )
(समंदर के पास खड़े प्रिय अनुज पवन और स्टेफनी की तस्वीर देखते हुए)