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Kavita Kosh से
ले आई नमकपारे
वो खिली-खिली थी
हँसकर कहा — खाओ।खाओ
मैंने कहा — नहीं,
भूख नहीं है, ना... रे..
पूछा उसने —
कैसी गुज़र रही है?