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भेंट / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

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<poem>

जखन-जखन
अहाँसँ मिलन होइए
हमर मोन
गंगा नहयबा-सन
प्रफुल्लित
आ टटका भऽ जाइए।

जहिना अकासकें शोभा बढ़ा दइए
थोड़बे कालक लेल
इन्द्रधुनष
ओहिना हमर मोनकें रंगि दइए
शोभा बढ़ा दइए
अहाँक भेंटब।


</poem>
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