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|रचनाकार=सुधीर सक्सेना
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|संग्रह=अर्धरात्रि अर्द्धरात्रि है ये ... / सुधीर सक्सेना
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मगर कोई भी रात्रि आख़िरी रात नहीं
भला, भोर के लिए
कब थी इतनी लालायित अर्धरात्रिअर्द्धरात्रि?
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