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खबरि / गंग नहौन / निशाकर

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|संग्रह=गंग नहौन / निशाकर
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<poem>

गामक खास खबरियो
पहुँचि न´ि पबैछ महानगर धरि
महानगरक आम खबरियो
खास भऽ जाइछ गाममे
ओकर बादो
एक्के रंगक होइत अछि
तामस, साजिश आ हत्या
दुनू ठाम।

टंगघिच्ची कऽ
स्वयं आगाँ बढ़वा लेल
उताहुल रहैत अछि
लोक
दुनू ठाम।

जानि नहि खबरिमे
खास की, आम की?

</poem>
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