भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खबरि / गंग नहौन / निशाकर

799 bytes added, 21:15, 18 सितम्बर 2018
' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=गंग नहौन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया


{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशाकर
|अनुवादक=
|संग्रह=गंग नहौन / निशाकर
}}
{{KKCatAngikaRachna}}
<poem>

गामक खास खबरियो
पहुँचि न´ि पबैछ महानगर धरि
महानगरक आम खबरियो
खास भऽ जाइछ गाममे
ओकर बादो
एक्के रंगक होइत अछि
तामस, साजिश आ हत्या
दुनू ठाम।

टंगघिच्ची कऽ
स्वयं आगाँ बढ़वा लेल
उताहुल रहैत अछि
लोक
दुनू ठाम।

जानि नहि खबरिमे
खास की, आम की?

</poem>
761
edits