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तुम्हारी याद / श्वेता राय

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कभी मुझको हँसाती है, कभी मुझको रुलाती है॥
पकड़ कर हाथ मेरा ये, नजारे नज़ारे क्यों दिखाये थे।
चले जाना तुम्हें जब था, गले फिर क्यों लगाये थे॥
दिलों का हाल आँखें ये, जमाने ज़माने से छुपाती हैं।
कभी मुझको...
मिलोगे जब कभी हमदम, समय के पार आकर तुम।
महकते ख्वाब ख़्वाब में मेरे, भरोगे रंग लाकर तुम॥
चलूँगी साथ में दिल की, जहाँ तक राह जाती है।
कभी मुझको...
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