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|रचनाकार=प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
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|संग्रह=तुमने कहा था / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'
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<poem>
कौन है जो इश्क़ में जलता नहीं
किसको सोज़े इश्क़ ने खाया नहीं

दिल गया, हसरत गई सब कुछ गया
दिल जलों में कोई भी हम सा नहीं

याद दिल में आपकी ऐसी बसी
और कुछ अब तो समा सकता नहीं

प्यार की राहों में हम ऐसे चले
प्यार का अंजाम कुछ सोचा नहीं

मुस्कुरा कर चल दिये 'अंजान' वो
हाल मेरा क्या हुआ देखा नहीं।
</poem>
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