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<poem>
किसी से भी दिल का लगाना बुरा है
ज़़रा बच के रहना ज़माना बुरा है

हसद की फसल को उगाना बुरा है
नशेमन किसी का जलाना बुरा है

ख़ुशी से करो काम जो भी करो तुम
विवशता की गठरी उठाना बुरा है

विषम वक्र पथ पर बढो हँसतेहँसते
उदासी के आँसू बहाना बुरा है

प्रणय की अनल में भले ही जला दो
विरह की अनल में जलाना बुरा है

दिये से दिये को जलाते चलो तुम
उजासित दिये को बुझाना बुरा है
</poem>
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