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{{KKRachna
|रचनाकार=अनु जसरोटिया
|अनुवादक=
|संग्रह=ख़ुशनुमा / अनु जसरोटिया
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
खेतों पर छाई हरियाली
मौसम ने पहनी हरियाली
आंखों में ठण्डक सी उतरी
देख के जंगल की हरियाली
बच्चों की किलकारी सुन कर
जीवन में फैली हरियाली
वो आया बरसात का मौसम
पेड़ों पर उतरी हरियाली
ओढ़ी धरा ने धानी चुनरिया
हर जानिब फैली हरियाली
सूखी शाख़ें सोच रही हैं
हम पर भी आती हरियाली
गीत सदा ख़ुशियों के गाना
खेतों को कहती हरियाली
सिमटा जब से घर का आंगन
गमलों में पहुंची हरियाली
काश किसानों पर भी आती
धन दौलत रूपी हरियाली
देखें किस के घर जाती है
बन के दुल्हन निकली हरियाली
मन के इस सूने आंगन में
दो पल ही ठहरी हरियाली
</poem>
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|रचनाकार=अनु जसरोटिया
|अनुवादक=
|संग्रह=ख़ुशनुमा / अनु जसरोटिया
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खेतों पर छाई हरियाली
मौसम ने पहनी हरियाली
आंखों में ठण्डक सी उतरी
देख के जंगल की हरियाली
बच्चों की किलकारी सुन कर
जीवन में फैली हरियाली
वो आया बरसात का मौसम
पेड़ों पर उतरी हरियाली
ओढ़ी धरा ने धानी चुनरिया
हर जानिब फैली हरियाली
सूखी शाख़ें सोच रही हैं
हम पर भी आती हरियाली
गीत सदा ख़ुशियों के गाना
खेतों को कहती हरियाली
सिमटा जब से घर का आंगन
गमलों में पहुंची हरियाली
काश किसानों पर भी आती
धन दौलत रूपी हरियाली
देखें किस के घर जाती है
बन के दुल्हन निकली हरियाली
मन के इस सूने आंगन में
दो पल ही ठहरी हरियाली
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