शैतान और मैं कर रहे थे बातें ,
मेरी खोह में बेपरवाह-सा मुझे देख
विनीत भाव से पूछा उसने मुझसे --—
''बहुत सी रसपूर्ण चीजों में, श्यामल व रक्ताभ मादकताओं में,
तुम्हें उसकी देह का कौन सा हिस्सा, सबसे अधिक खींचता है ?
क्या है सबसे अधिक मधुर?"
कहा मेरी आत्मा ने लोलुप शैतान से,—''वह अपनी समग्रता में एक विश्रांति है, स्नेह है!
उसकी देह का कोई एक टुकड़ा नहीं मुझे प्रिय है,