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[[Category: ताँका]]
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1फूल न खिलेबस धूल में मिलेपावन मनपैरों के सदा तलेसबने थे कुचले।2में जी जाऊँगा गले से जो लगा लोकहीं छुपालोतुम पावनी गंगाअपने में समा लो।3सागर मन!छाया घोर अँधेरासुनामी बहे दीप स्तम्भ मैं खोजूँतुम नज़र आए।4क्रूर संसारघेरे चारों ओर सेछाया अँधेरातुम बन सौरभले आए हो बहार।5'''देह का धर्म'''निभाया रात-दिनहाथ क्या आया?वासना बुझी नहींराख हो गए कर्म।-०-
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