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1
विश्वास छला
ईर्ष्या - अनल जगी
सब ही जला
फूटी आँखों न भाया
समझेंगे वे कैसे
जो नालियों में डूबे?
5
हार जाएँगी
घुमड़तीं आँधियाँ
अडिग शिला!
शिव संकल्प लिया-
‘क्षितिज हम छुएँ !’
-०-
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