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निर्मलमना ! / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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15:55, 16 अक्टूबर 2018
1
विश्वास छला
ईर्ष्या
-
अनल जगी
सब ही जला
फूटी आँखों न भाया
समझेंगे वे कैसे
जो नालियों में डूबे?
5
हार जाएँगी
घुमड़तीं आँधियाँ
अडिग शिला!
शिव संकल्प लिया-
‘क्षितिज हम छुएँ !’
-०-
</poem>
वीरबाला
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