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[[Category:हाइकु]]
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31'''अमा की रात'''तुम पूर्ण चंद्रिकाउर में खिली।32दीप जलाऊँया तेरे नयनों मेंडूबूँ नहाऊँ।33आँखों के तारेदीपोत्सव मनाएँप्राण जुड़ाएँ।34यादों में तुमजगमग दिशाएँरोज दिवाली।35शब्दों के दीपतुमने क्या जलाएधरा नहाए।36शब्दों में अर्थजैसे हो एकमेक,गुँथे मुझमें।37भाव-संगिनीलय -प्रलय तकमुझमें रमी ।38नश्वर देहकाल से परे सदातुम्हारा नेह।39 भीतर तमदेहरी जगमगघना अँधेरा।40किरण शरबींधे तम प्रखरउजाला फूटा।
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