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कालीदह कूदि काली नाग के नथैया,
लादि कमल पठैया नन्द-संकट हरैया हैं।
मथ्ुारा जवैया वस्त्र रजक लुटैया,
जोई कूबरी हरैया पोड़ कबल हनैया हैं॥
दुखदाई कंस को। विध्वंस कै सुईस जोई,
निज दीन दासन क दुख के हरैया हैं।
सोई दीनानाथ आज ‘कीरिति कुमारी’ गृह,
जनम लेवैया दुख दारुण हरैया हैं॥


</poem>
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