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Kavita Kosh से
रास्ते के दोनों ओर से
'मरा मरा' की आर्तनादी चीख़ में
झाँका माथे मजूर, फेरीवाले, दुकानदार, ग्राहक
वे सब भी अब स्थिर चित्र जैसे चित्रकार के इजल में थमके हुए
कलकत्ता का यीशु,
किसी मंत्रबल मन्त्रबल से रोक दिया समस्त ट्रैफ़िक तुमने
जन आर्तनाद, बेचैन ड्राइवर के वचन
किसी की परवाह नहीं तुम्हें..
निकल पड़े हो
पृथ्वी के एक किनारे से दूसरे किनारे की ओर ...
'''कविता ’कोलकातार जीशु’ का मूल बांग्ला से अनुवाद : देवदीप मुखर्जी'''
'''अब यही कविता मूल बांग्ला में पढ़िए'''
টাল্মাটাল পায়ে তুমি
পৃথিবীর এক-কিনার থেকে অন্য-কিনারে চলেছ।
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