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आपने सोचा कभी है क्यों मरे भूखा किसान
क्यों ज़हर खाये बताओ कर्ज़ में डूबा किसान
इससे बढ़कर त्रासदी दुनिया में कोई और है
दाम भी अपनी फ़सल का तय न कर सकता किसान
 
उसके होंठों पर हमेशा एक ही रहता सवाल
अन्नदाता है वो या हालात का मारा किसान
 
कर रहे हैं ऐश सारे मंत्रीगण आपके
खाद, बिजली और पानी भी नहीं पाता किसान
 
संगठित हो जाय अपनी शक्ति को पहचान ले
तो किसी सरकार का तख़्ता पलट सकता किसान
 
देखता सुनता है वह भी क्या सदन में हो रहा
अब नहीं अनजान इतना गाँव में बैठा किसान
 
इस समंदर में कोई तूफ़ान आने की है देर
बाँध लेगा मुट्ठियों में वक़्त की धारा किसान
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