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बातें बड़ी-बड़ी करता है सबसे बड़ा मदारी है
आँखों में वो धूल झोंकता लफ़्जों का व्यापारी है
भाषा में वो झूठ बोलता अलंकार में ठगी करे
बनता है साहित्यकार पर केवल कारोबारी है
 
जाने कैसे लोगों को वो अपने वश में कर लेता
कोई जड़ी-बूटियों वाली उसके पास पिटारी है
 
झाँसे में मत आना उसके अवसरवादी है कोरा
उसकी चाल समझना मुश्किल वो चालाक शिकारी है
 
जनता से भी उसकी यारी, राजा का भी दरबारी
ज़रा सँभल कर रहना उससे वो तलवार दुधारी है
 
कितना नाम है दूर- दूर तक उसी के चर्चे होते हैं
ऐसा-वैसा नहीं वो कोई बड़ों- बड़ों पर भारी है
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