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'''अपनी दत्तक बहन एलिज़ा के प्रेम में असफल होने की वर्षगाँठ पर'''
 
 
भारी, उन्मत कुच लिए गणिका, निर्मल नहीं है उसके भूरे नेत्र
धीरे-धीरे खुलते हैं जैसे बैल की आँखें
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