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|रचनाकार=रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'
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<poem>
रमणी मणी-सी चली अलि की अनी समेत ,
पाँव में लगे हैं जनु जावक उमंग के ।

उड़-उड़ ,मुड़-मुड़ झाँकती-सी जाती खिली,
सुख की डली-सी , सुर मदन - मृदंग के ।

मंजुल उरोज ज्यों सरोज सुषमा के द्वय,
अथवा मनोज के सुलेख हैं प्रसंग के ।

किंवा किलोल करें चपल हरेक पल ,
कंचुक सुनीड़ में सुशावक विहंग के ।

</poem>
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